धन्य हबै ऊ, जउन मनसे परिक्छा हे ठाड रथै काखे परिक्छा हे खरा उतरै हे उके जीवन के ऊ मुकुट मिलही, जेही परभु अपन सेबक के दे के टीमा अपन माया करै बाले लग करे हबै।
भगवान उनखर आंखी लग हर अक्ठी आंसू पोंछ डालही अउ उहां अब न कबहुन मिरतू होही, न सोक के कारन कउ रइहिन अउ न कउनो पीरा, काखे हइ सगलू पुरान बात समापत हुइ चुके हबै।”