पय हे मोर भाई, सगलू बडा बात हइ हबै, कि तुम किरिया झइ खइहा, न स्वरग के, न भुंइ के, न कउनो चीज के, पय तुम्हर बातचीत हव के हव अउ नेहको के नेहको होय, कहुं असना झइ होय कि तुम सजा के काबिल हुइ जा।
तुम तो अपन बाफ भुतवा लग हबा अउ अपन बाफ के इक्छा के पूर करै के चाहथा, ऊ तो सुरू लग खूनी रथै, ऊ सत्य हे ठाड नेहको रथै, काखे ओखर हे सत्य नेहको हबै जब ऊ झूठ बोलथै, ता अपनेन आदत के जसना बोलथै, काखे ऊ झूठा हबै अउ झूठ कर बाफ हबै।
ऊ बिजहा जउन गली कर टाठा हे गिरे रथै, ओखर मतलब हबै, कि जब कउ स्वरग के राज के संदेस सुनथै, अउ उके नेहको समझथै, ता भुतवा आय के ओखर मन हे जउन बिजहा बोय रथै उके चुराय लइ जथै।