तउभरमा हम उनखर ठोकड के कारन झइ बनब, तै पानी के दहार हे बनसी लगाबे अउ जउन आगू मछडी पकड हे आही ओखर मुंह के उघारत टेम तुमके चांदी के अक्ठी खोटन्ना मिलही, उके ले आबे अउ मोर बदला पइसा दइ दइहा।”
अगर तोर हाथ या गोड तोर रुकावट बनै, ता उके खपलके फटक देय, तोर निता इहै निक्खा होही कि तुम लेंगरा या लुलवा हुइके जीवन हे घुसा, पय दुइठे हाथ या दुइठे गोड के रहत भरमा तै सबरोज के निता आगी हे डालय जाय।
पय मै तुम्हर लग हइ कथो, कि कउ अपन भाई या बेहन लग गुस्सा करही, ऊ स्वरग के अदालत हे सजा के लायक होही, जउन कउ अपन भाई के बेकार कहि, ऊ स्वरग के अदालत के सजा के लायक होही, जउन कउनो के मूरुख कहि, ऊ नरक के आगी के लायक होही।
अगर तुम्हर हाथ पाप के कारन बनही, ता उके खपलके फटक दे, ता तोर निता इहै निक्खा हबै, कि तुम लुलवा हाथ सबरोज के जीवन हे जा, अगर दोनो हाथ के संग हे नरक के आगी हे झपोय दय जही, जउन आगी कबहुन नेहको बुझही।
जउन मनसे हइ नान मसे कउनो अक्ठी के निता ठोकड के कारन बनथै, ओखर निता निक्खा इहै होतिस कि ओखर नटेरी हे चकिया के पाट बांध के उके गहिरा समुन्दर हे फटक दय जातिस।”
इहैनिता अगर मोर खाना मोर भाई या बेहन के निता पाप के कारन बनथै, ता मै फेर कबहुन कउनो मेर के गोस नेहको खइहों। कहुं असना झइ होय कि मै अपन भाई या बेहन के निता पाप के कारन बनो।
हे भाइयो अगर मै अब तक सुध्दिकरन खतना के परचार करत होतो, ता मोर उप्पर अब तक गलत बेउहार काखे करे जथै? अगर मै असना करतों, ता क्रूस के ठोकड जउन रुकावट होथै ऊ समापत हुइ जथै।