पय मै तुम्हर लग हइ कथो, कि कउ अपन भाई या बेहन लग गुस्सा करही, ऊ स्वरग के अदालत हे सजा के लायक होही, जउन कउ अपन भाई के बेकार कहि, ऊ स्वरग के अदालत के सजा के लायक होही, जउन कउनो के मूरुख कहि, ऊ नरक के आगी के लायक होही।
उनखर आंखिन हे गलत कामन लग भररे हर हबै, अउ उन पाप करै लग नेहको चुकै, उन कमजोर आतमा बालेन के ललचोथै, उनखर मन लालच लग भररे हर हबै, उन सराप पाय हरन के लरका हबै,