जब कबहुन तुम उपास करथा, ता ढोंगहन के जसना तुम्हर मुंह उदास झइ रहै अउ उन अपन मुंह के इहैनिता उतारै रथै, ताकि दूसर मनसे उनखर उपास के जानै, मै तुम्हर लग सही कथो, कि अपन फडुहा पाय चुके हबै।
“हे यरुसलेम, हे यरुसलेम, तै ग्यानी मनसेन के हत्या करथस अउ अपन लिघ्घो पठोय हर संदेस देय बालेन के पथरन लग मार डारथस, मै केतका बेर चाहो कि तोर लरका के अक जिघा कर लो, जसना कुकडी अपन लरकन के अपन डेखना के तरी अक जिघा कर लेथै, पय तै मोके हइ करै नेहको दय।
अपन जेलियर मनसेन के संग दुख हे उनखर दुख बांटा अउ जब तुम्हर डेरा जइजात के छंडाय लइन, ता अपने-अपन हे जउन नुसकान हुइस उके खुसी-खुसी सुइकार लइन, काखे उन जानथै कि हमर लिघ्घो अभिन्नो कुछ डेरा जइजात हबै जउन सबरोज रही।
अउ बिस्वास के बिना भगवान के मगन करै के मुस्किल हबै, जउन भगवान के लिघ्घो आमै चाहथै उके बिस्वास करै के चाही, कि भगवान हबै अउ ऊ उन मनसेन के आसीस देही, जउन भगवान के खोजै हे लगे रथै।