चेलन के गुरू के बरोबर होय हे अउ हरवाहन के मालिक के बरोबर होमै हे संतोस करैका चाही, अगर मनसे घर के मुखिया के भुतवा कथै, ता उन ओखर घर बालेन के का कुछ नेहको कइहीं?
पय तुम चेतन्न रइहा, काखे मनसे तोके मंडली हे सोप देही, अउ तुमही मंडली हे पिटही, मोर नाम के चलते तुमही राजपाल अउ राजा के आगू ठाढ करही, कि उनखर निता गवाह होय।
पय अपन भित्तर मजबूत जर नेहको होय लग, चुटु रोज के निता रथै, एखर बाद हे अपनाय जाय बाले भगवान के बचन सबरोज के निता उनखर भित्तर नेहको होमै के कारन बिस्वास लग भटक जथै।
पय ई बातन के आगू ऊ मनसे तुमही बन्दी बना लइहीं अउ सतइही, ऊ तुम्हर उप्पर अधिकार के आदेस चलाय के निता तुमके मंडली दरबार हे दइ देइही अउ फेर मोर नाम के कारन ऊ तुमही, राजा अउ राजपालो के आगू लइ जइही।