51 तब मालिक उके बोहत सजा देही, हइ मेर ओखर हीसा के आखरी हुइ जही जउन मेर ढोंगहन के होथै, उछो सबदिना रोना अउ दांत चबाउत रइहीं।
ता राजा अपन हरवाहन लग कथै, एखर हाथ गोड के बांध के, उके बाहिर अंधियार हे फटक देया, जिहां हइ रोइ अउ दांत चबाही।”
ता ऊ हरवाह के मालिक असना रोज आही, जउन रोज ऊ ओखर आमै के टेम नेहको सोचथै उके खबर तक नेहको चलही।
इहैनिता हइ ढिलवा हरवाहन के बाहिर के अंधियार हे फटिक देया, जिहां मनसे रोथै अउ दांत पीसथै।”
पय जेही मोर राज हे होमै चाही, उनही अंधियार हे डाल दय जही, जिहां रोइहिन अउ दांत पिसहिन।
ता ऊ हरवाह के मालिक, असना रोज आ जइ, जब उके नेहको ओरगी, अउ उहै टेम जेखर बारे हे उके पता नेहको हबै, ता मालिक उके कठोर दन्ड दइके ओखर गिनती अबिस्वासी हे कर दइ।
जब तुम अब्राहम, इसहाक, याकूब अउ सगलू ग्यानी मनसे के, भगवान कर राज हे देखिहा अउ तुमके खुदय बाहिर ढकेल दय जही, तब तुम रोइहा अउ दांत पिसिहा।