47 मै तुमही सही कथो, कि ऊ उके अपन सगलू धन डेरा के हकदार बनाही।
ओखर मालिक ओखर लग कथै, बोहत बढिहा, निक्खा अउ इमानदार हरवाह, तै चुटु हस पइसा हे इमानदार रहस, मै तोके बोहत चीजन के उप्पर हक देहुं, अपन मालिक के मगन हे सहपारटी हुइ जा।
ओखर मालिक कथै, बोहत बढिहा, निक्खा अउ इमानदार हरवाह, तै चुटु हस सोना के पइसा हे इमानदार रहे हस, मै तोके बोहत चीजन के उप्पर हक देहुं, अपन मालिक के मगन हे सहपारटी हुइ जा।
धन्य हबै ऊ हरवाह जेही मालिक आयके जगे हर पइ, मै तुम्हर लग सही कथो, ओखर हरवाह बन्डी पहिरके उके खाना के निता बइठाही अउ खुदय उके खाना पोरसी।
मै तुम्हर लग सही कथो, ऊ हरवाह के अपन सगलू धन डेरा लग अधिकारी बनाही।
जउन जीत पाही ऊ सगलू कुछु के मालिक बनही, मै ओखर भगवान हुइहों अउ ऊ मोर टोरवा होही।
पय जउन जीत पाही, उके मै अपन संग अपन राजगद्दी हे बइठाय के हक देहुं, ठीक जसना मै जीत के अउ अपन बाफ के संग ओखर राजगद्दी हे बइठे हव।
अगर हम धीर लग सहत रहब, ता ओखर संग राज करब, अगर हम ओखर इन्कार करहिन, ता ऊ हमर इन्कार करहिन,
मालिक ओखर लग कथै, बढिहा हबै तुम चुटु लग पइसा हे इमानदार हबस, इहैनिता अब तुम दस सहर हे हक रख।
जउन टेम परधान बरेदी परगट होही, ता तुम कबहुं नेहको बुझाय बाले महिमा के मुकुट पइहा।
अगर कउ मोर सेबा करै ता मोर पाछू हुइ ले अउ जिहां मै हव उहां मोर सेबक होही, अगर कउ मोर सेबा करै, ता बाफ ओखर इज्जत करही।
धन्य हबै ऊ हरवाह, जेखर मालिक लउटत हे उके ओसनेन करत पाय।
पय ऊ हरवाह बेकार होय अउ मन हे हइ सोच बिचार आमै लगे, कि मालिक के लउटै हे तो बोहत देरी होत हबै।