3 लगभग नव बजे के टेम ऊ मालिक फेर घर लग बाहिर निकडथै अउ देखथै कि कुछ मनसे बजार हे इछो-उछो बेकार ठाड हबै।
ऊ मजदुरिहन के संग अक्ठी चांदी के पइसा रोजदिन मजदूरी देय के तय करथै अउ उनही अपन अंगूर के बगिया हे काम करै के निता पठोय देथै।
ता ऊ उनखर लग कथै, तुमो मोर अंगूर के बगिया हे अइहा, मै तुमही सही मजदूरी दइहों।
बिहन्ने कर टेम नव बजे उन मनसे उके क्रूस हे टंगाइन।
जब ओखर मालिक देखथै कि हमार कमाई के आसरा खतम हुइ गय, ता पोलुस अउ सीलास के पकडके चउक हे मुखिया के लिघ्घो खींच लइ जथै
ऊ मनसे नसा हे नेहको हमै, जसना तुम समझथा काखे अबे तो सकरहा कर नव बजे हबै।
एखर अलाबा ऊ आलसी रहै लागथै, अउ घर-घर घूमै करथै, ऊ न केबल आलसी रथै, पय बाकिन के कामन के बिगाडथै, अउ दूसर के बुराई करै हे मजा आथै, अउ ऊ बात बोलथै, जउन उके नेहको बोलै चाही।
तुम आलसी झइ करा, पय उन मनसेन के जसना करा जउन अपन बिस्वास अउ धीर के कारन उन चीजन के पाथै, जेही भगवान टीमा करे हबै।