9 उन राजा कर बात के सुनके उछो लग कढ जथै, अउ जउन तरइया दिन उगती छो देखे रथै, ऊ उनखर आगू-आगू चलै लागथै अउ जउन जिघा हे लरका रथै, ऊ जिघा के उप्पर जाय के रुक गइस।
उन तरइया के देखके बोहत मगन होथै।
यहूदिन के राजा जेखर पइदा होय हबै ऊ कछो हबै? काखे हम दिन उगती छो ओखर तरइया देखे हबन अउ ओहि हम निहुर के परनाम करै आय हबन।
राजा ज्योतिसिन लग हइ कहिके बैतलहम पठोथै “कि जायके ऊ लरका कर बारे हे ठीक-ठीक पता लगामै, जब मिल जही ता मोके गुठेइहा, ता महुं ओखर परनाम करहुं।”
इहैनिता ग्यानी मनसेन के बचन अउ बोहत बिस्वासओग हुइ गय हबै, ओखर हे तुम्हर धियान अक जिघा करैका ठीक हबै, ओसनेन निक्खा हबै जसना जलत हर चिमनी हे धियान अक जिघा करैका, जब तक सुबेन्नेन झइ होय अउ तुम्हर हिरदय हे भिनसारे के तरइया नेहको निकडथै।