34 अउ ओखर मालिक बोहत गुस्सा होथै अउ ऊ हरवाह के सजा दे निता जेल पठोय दइस, जब तक कि ऊ पूर करजा नेहको लउटाय दइस।
पय ऊ नेहको मनीस अउ जायके तब तक जेल हे बेडवा देथै, जब तक कि ऊ अपन करजा नेहको लउटाय दे।
जसना मै तोर उप्पर दया करे रथो, का तहुं अपन संगी हरवाह हे दया नेहको करैका चाही?
“इहैमेर अगर तुम हर अक झन के अपन भाई-बेहन के पूर मन लग छमा नेहको करही, ता मोर स्वरग के बाफ तुम्हर संग असनेन करही।”
जउन दया नेहको देखाही, ओखर नियाव बगैर दया करे जही, पय दया नियाव हे जीत पाथै।