27 तब मालिक हरवाह के उप्पर दया आ जथै अउ ओखर करजा के छमा कर देथै अउ ओही जाय देथै।
“पय जब हरवाह बाहिर छो निकडथै, ता ओखर संगी हरवाह मसे मिलथै, जउन ओखर लग अक्ठी सव चांदी के पइसा के करजदार रथै, ऊ हरवाह के पकडके ओखर नटेरी दबाउत कथै, जउन मोर लग करजा लय हबस उके लउटा दे।”
तब ओखर मालिक ओही बुलाके कथै, हे दुस्ट हरवाह तै जउन मोर लग बिनती करे रहस, मै तोर करजा के छमा कर दयों काखे तै मोर लग दया के भीख मांगे रथस।
उनखर लिघ्घो करजा चुकामै के निता कुछु नेहको रहिस, इहैनिता बनिया दुनो के करजा के छमा के दइस, उन दुनो मसे कोनहर ओखर लग अधिक माया करी?
समोन जबाब दइस, मोर समझ हे उहै मनसे जेखर बोहत करजा छमा हुइस, “यीसु ओखर लग कथै, तै सही जबाब दइ हबस।”