10 अउ तुमही सुरता नेहको हबै कि चार हजार मनसेन के निता सातठे रोटी अउ फेर तुम केतका टोपरी रोटी उठाय रहा।
सगलू मनसेन पेट भर खथै अउ एखर अलाबा बचे हर रोटी के खन्डन के चेला बाराठे छन्नी उठाथै।