20 सगलू मनसेन पेट भर खथै अउ एखर अलाबा बचे हर रोटी के खन्डन के चेला बाराठे छन्नी उठाथै।
भोजन करै बाले मसे डउकी अउ लरकन के छांड के करीबन पांच हजार डउका रथै।
तब ओखर चेला कथै, “एतका बडा भीड के निता असना पतेरा जिघा हे एतका खाना हमके कछो लग मिलही?”
धन्य हबै ऊ जउन नियाइपन के भूखे अउ पियासे हबै, काखे ऊ भरपूर करे जही।
ऊ भुखहन के बढिहा चीजन लग टुल्ल करिस, अउ धनिन के छूछे हाथ लउटा दइस।
सगलू मनसे मछडी अउ रोटी खायके अघाय गइन, अउ बचे हर रोटी के खन्डा लग बारा छन्नी भर गइस।
फिलिप्पुस ओही जबाब देथै, दुइ सव चांदी के पइसा के रोटी इतनी हस नेहको होही, कि हर कउ के चुटु-चुटु मिल सकै।