ऊ बिजहा जउन गली कर टाठा हे गिरे रथै, ओखर मतलब हबै, कि जब कउ स्वरग के राज के संदेस सुनथै, अउ उके नेहको समझथै, ता भुतवा आय के ओखर मन हे जउन बिजहा बोय रथै उके चुराय लइ जथै।
तुम तो अपन बाफ भुतवा लग हबा अउ अपन बाफ के इक्छा के पूर करै के चाहथा, ऊ तो सुरू लग खूनी रथै, ऊ सत्य हे ठाड नेहको रथै, काखे ओखर हे सत्य नेहको हबै जब ऊ झूठ बोलथै, ता अपनेन आदत के जसना बोलथै, काखे ऊ झूठा हबै अउ झूठ कर बाफ हबै।
हे मोर पिरिया भाई अउ बेहन, सुन लेया। का भगवान उन मनसेन के नेहको चुने हबै, जउन दुनिया के नजर हे गरीब हबै, ताकि उन बिस्वास के धन्नड हुइ जाय अउ ऊ राज के बारिसदार बनै, जउन ऊ अपन सेबकन के देय के निता टीमा करे हबै, जउन ओखर लग माया करथै?
पिरिया अब हम भगवान के लरका हवन, अउ अब हइ परगट नेहको हुइस कि हम का बनब हम एतका जानथन कि जब मसीह परगट होही ता हम ओखर जसना बन जाबे, काखे हम उनही ओसनेन देखबो जसना कि ऊ सहीमा हबै।
तब मै अक्ठी दूसर स्वरगदूत के बीच बादर हे उडत देखो, भुंइ हे रहैबाले के हर अक्ठी देस, कुर, भासा अउ कास्ट के मनसे सुनामै के निता ओखर लिघ्घो अक्ठी निक्खा अनन्त संदेस रथै।