उन मनसेन के खान्दा हे एतका गरू लाद देथै कि उन उके उठाय के रेंगों नेहको सकै अउ मनसेन हे दबाव दिखाथै कि उन उके लइके रेंगै। पय उन खुद उनखर मसे कउनो मेर के अंगठी तक नेहको डोलामै चाहथै।
भगवान के सुस्ताय के रोज के जिघा हे घुसे के ऊ टीमा अबे तक हबै, ता हमही डेराय चाही असना झइ होय कि तुम्हर मसे कउनो अयोग ठहरै अउ ओहमा घुसै लग दुरिहां झइ रही पामै।