23 हे कफरनहूम काखे तै सोचथस कि तोके स्वरग के महिमा लग उप्पर उठाय जही? तै तो नरक छो जइहे, जउन सक्ति के काम तोर लग करे गय रहिस, अगर ऊ सदोम हे करे जातिस ता ऊ सहर आज तक बने रहतिस।
यीसु उनखर लग कथै, “तुम जरूर हइ कहावत सुनिहा, हे पंडा पहिले तै अपन खुद के निक्खा कर, तुम मोर लग हइ कइहा, कफरनहूम सहर छो जउन कुछु होय हबै, हम ओखर बारे हे सुने हवन, अब ऊ इहां अपन सहर हे कर।”
इहै मेर मै तुमही हइ सुरता दिलामै चाहथो, कि सदोम अउ अमोरा अउ ओखर अगल-बगल के सहर हे हइ दूतन के जसना गलत काम हे फस गय रहै, अउ पराय देह के पाछू दउडत रहन, उनही अनन्त काल तक नेहको बुझै बाले आगी हे झपोय जाय के निता सजा दय गइस, ऊ हमर निता उदाहरन के रूप हे ठहरे हबै।
जउन समुन्दर हे मरे हर रथै, उनके समुन्दर भगवान के आगू ठाढ करिस अउ नरक हे जिनखर मिरतू हुइ गय रथै, ऊ ओखर आगू ठाढ करिस, हर अक्ठी मनसे के उनखर काम के जसना सजा दय गइस।
तब मोके उहां अक्ठी घोडवा दिखथै, जउन पीला रंग के रथै, जउन ओखर उप्पर बइठे रथै, ओखर नाम मिरतू रथै अउ नरक ओखर पाछू-पाछू चले आथै, उके भुंइ के अक्ठी चउथाई भाग हे हक दय गइस, कि अकाल महामारी अउ पतेरा के गोरू दवारा नास करै के हक दय गइस।