तुमके जउन परेसानी भोगै के होही ओखर लग झइ डर, भुतवा तुम्हर परिक्छा लेय के उदेस्य लग तुम्हर मसे कुछ मनसेन के जेल हे डाल देही अउ तुम दस रोज तक परेसानी हे पडे रइहा अउ जब तक तुम्हर मिरतू न आय जाय तब तक बिस्वास ओग हे बने रइहा अउ मै तुमके जीवन के मुकुट परदान करिहों।”
डउकी अपन मरे हर के फेरै लग जिन्दा पाइन, बोहत झन के परेसान करे गइन, पय उन छुटकारा पामै लग मना के देथै, ताकि उनही अक्ठी अउ अच्छी जीवन हे फेरै लग जिन्दा पाय सकि।
पय पोलुस जबाब दइस, “तुम काहिन कथा रोय-रोय के मोर दिल दुख करे हबै? मै तो परभु यीसु के नाम के निता यरुसलेम हे न केबल बांधे जाय के निता बरन मरै के निता तइयार हबो।”
पय मै तुम्हर लग हइ कथो, कि कउ अपन भाई या बेहन लग गुस्सा करही, ऊ स्वरग के अदालत हे सजा के लायक होही, जउन कउ अपन भाई के बेकार कहि, ऊ स्वरग के अदालत के सजा के लायक होही, जउन कउनो के मूरुख कहि, ऊ नरक के आगी के लायक होही।