मै तुम्हर लग कथो, चिन्ता झइ करा अउ न अपन जीवन चलामै के निता कि हम का खइ या का पी अउ न अपन देह के निता कि हम का पेहनी। का जीवन खाना लग अउ का देह के खुरथा पइजामा लग बढके नेहको हबै?
परभु मोर संग रथै अउ उन मोके सक्ति दय रथै कि मोर दवारा संदेस के घोसना पूरी तरह खतम हुइ जाय अउ सगलू दूसर जात के मनसे इके सुन सकै, मै बघवा के मुंह लग बचाय लय गय हव।