इहैनिता मै तुमही गुठेथो, कि मै तुम्हर लिघ्घो ग्यानी मनसे अउ दिमाक बाले अउ गुरू के पठोहूं, तुम उन मसे कुछ के मार डरिहा अउ बोहतन के क्रूस हे टंगइहा अउ कुछ के अपन मंडली हे कोडा मरिहा अउ सहर-सहर हे मारत फिरिहा।
पय मै तुम्हर लग हइ कथो, कि कउ अपन भाई या बेहन लग गुस्सा करही, ऊ स्वरग के अदालत हे सजा के लायक होही, जउन कउ अपन भाई के बेकार कहि, ऊ स्वरग के अदालत के सजा के लायक होही, जउन कउनो के मूरुख कहि, ऊ नरक के आगी के लायक होही।
पय तुम चेतन्न रइहा, काखे मनसे तोके मंडली हे सोप देही, अउ तुमही मंडली हे पिटही, मोर नाम के चलते तुमही राजपाल अउ राजा के आगू ठाढ करही, कि उनखर निता गवाह होय।
अउ यहूदी मंडली हे उनके सजा दय करथो अउ भगवान के बुराई ऊ बिस्वास के छांडै के निता दबाव के परयास करथो, उनखर पल्ला मोर गुस्सा एतका अधिक रथै कि उनके सतामै के निता बाहर के सहर तक गयों।