13 अगर ऊ घर के मनसे लायक होही, ता तुम्हर सान्ति उनखर तक पहुंचही, अगर उन लायक नेहको होही, ता तुम्हर सान्ति तुम्हर लिघ्घो लउट आही।
जब तुम कउनो के घर हे जइहा ता ऊ घर के मनसेन के नमस्ते करत कइहा “तुमही सान्ति मिलै।”
अगर कउ तुम्हर पोहनाई नेहको करथै अउ तुम्हर बात नेहको सुनथै, ता ऊ घर या ऊ सहर छांडत टेम अपन गोड के धूधुरा के उहै झार दइहा।
अगर उहां कउ सान्ति के काबिल होही, ता ओखर हे तुम्हर सान्ति रुकही, अगर असना नेहको होथै, ता सान्ति तुम्हर लिघ्घो लउट आही।
पय उनखर निता जउन बिनास के रास्ता हे हबै हइ मिरतू असना दुरगन्ध हबै, जउन मिरतू कि पल्ला लइ जथै, पय उनखर निता जउन मुकति के रास्ता हे चलथै, हइ जीवन के असना सुगन्ध हबै, जउन जीवन के पल्ला खींचथै, पय हइ काम के निता काबिल कोन हबै?