62 “यीसु ओखर लग कथै, नागर के मुठिया पकरै के बाद जउन मुडके पाछू देखथै, ऊ भगवान कर राज के काबिल नेहको हबै।”
भाई अउ बेहन मै हइ नेहको समझथो कि ऊ लक्छ अब तक मोर पकड हे आय हबै, मै एतका कथो कि पाछू के बात भुलाय के अउ आगू कर बातन हे नजर लगाय के।
काखे देमास बरतमान दुनिया के प्रिय जानके ऊ मोके छांडके थिस्सलुनीके सहर छो कढ गय हबै, क्रेसकेंस गलातिया परदेस छो कढ गइस, अउ तीतुस, दलमतिया परदेस छो।
मोर धरमी काम करै बाले मनसे बिस्वास के दवारा जीवन पइहीं, पय अगर कउ पाछू हटही, ता मै उनखर लग मगन नेहको हुइहों।