डउकी अपन मरे हर के फेरै लग जिन्दा पाइन, बोहत झन के परेसान करे गइन, पय उन छुटकारा पामै लग मना के देथै, ताकि उनही अक्ठी अउ अच्छी जीवन हे फेरै लग जिन्दा पाय सकि।
तुमके जउन परेसानी भोगै के होही ओखर लग झइ डर, भुतवा तुम्हर परिक्छा लेय के उदेस्य लग तुम्हर मसे कुछ मनसेन के जेल हे डाल देही अउ तुम दस रोज तक परेसानी हे पडे रइहा अउ जब तक तुम्हर मिरतू न आय जाय तब तक बिस्वास ओग हे बने रइहा अउ मै तुमके जीवन के मुकुट परदान करिहों।”