45 यीसु कथै, “मोके कोनहर छिय हबै?” जब सगलू मनसे मना करथै, ता पतरस अउ ओखर संगी यीसु लग कथै, “हे स्वामी मनसेन के बोहत भीड हबै, अउ तोर गोड तरी गिरे पडथै अउ तैहां पूछथस कि मोके कोनहर छिय हबै।”
ऊ रोज तोर उप्पर आही, जब तोर बैरी चारो ओर दिग्गत ठाड के देहिन, ता ऊ तोके घेर लेही, अउ सगलू पल्ला लग तोके दीब डरहिन।
समोन जबाब देथै, स्वामी रात भर मेहनत करै भरमा हम कुछु नेहको पकड सकन, पय तोर कहे लग मै जाल डारे देथो।
ऊ डउकी पाछू ले आयके यीसु के कपडा के चुप्पे लग छि लेथै, अउ उहै टेम ओखर खून बोहय के बन्द हुइ गइस।
यीसु अपन चेलन के जबाब दइस, “तुमिन उनही खाय के देया” ता चेला कथै, “हमर लिघ्घो पांचठे रोटी अउ दुइठे मछडी हबै अउ एखर सिबाय हमार लिघ्घो कुछु नेहको हबै, तै काहिन चाहथस कि हमिन खुद जायके इन सगलू मनसेन के निता खाना खरीदी?”