फेर सिपाही अपन सेना नायक के बुलाय के कथै, दुइ सव सिपाही, सत्तर घोडवा अउ दो सव भाला बालेन के कैसरिया जाय के निता तइयार रखा। रात के नव बजे निकरै के निता तइयार रहबे।
पय एखर बारे हे परभु राजपाल के लिघ्घो लिख पठोमै के मोर लिघ्घो कउनो निस्चित बात नेहको हबै, मै इके इहैनिता तुम्हर आगू खास रूप लग हे राजा अग्रिप्पा तुम्हर आगू लाय हबो ताकि हइ जांच पडताल के बाद लिखे के मोर लिघ्घो कुछु होय।
हरवाह लग मोर बिनती हइ हबै कि तुम सब बातन हे उन मनसे के आदेस माना, जउन ई भुंइ हे तोर गुरू हबै, तुम मनसे के खुस करै के उदेस्य लग केबल देखामै के निता नेहको, बलुक निस्कपट मन लग अउ परभु हे डर अउ बिस्वास रखके असना करा।