58 चुटु टेम के बाद हे अक्ठी दूसर मनसे उके देखथै अउ कथै, तै उन मसे अक्ठी हबस पय पतरस कथै, हे मनसे मै नेहको यहों।
समोन पतरस ऊ टेम ठाढ हुइ के आगी तापत रहिस, कुछ मनसे ओखर लग कथै, “कहुं तै ओखर चेला मसे तो नेहको हबस?” ऊ मना करके कथै, “मै नेहको आंव।”
पतरस जल्दी कथै, हे डउकी मै तो ऊ मनसे के नेहको जानथो।
पंडित के अक्ठी हरवाह ऊ मनसे के रिस्तेदार रथै, जेखर कान पतरस काट दय रथै, ऊ पूछथै, “का मै तोके ओखर संग बगइचा हे नेहको देखे रथो?”