“पय पइसा उगाहै बाले सिपाही दुरिहां ठाड रथै अउ इहां तक कि स्वरग छो, अपन आंखी तक नेहको उठावत रहिस, अपन छाती ठोक के कथै, हे भगवान मै पापी हबो मोर हे दया कर।
पय उहां रुकय के अपन टेम पूर करके हम बिदा लयन अउ अपन यातरा पूर करथै, अपन डउकी अउ अपन लरकन के लइके नगर के बाहिर आइस उहां सागर हे घुटवा के बल झुक के बिनती करन।