31 ओसनेन तुम जब ई बातन के घटत देखिहा ता जान लइहा कि भगवान कर राज लिघ्घो हबै।
पाप लग मन बदला, काखे स्वरग कर राज लिघ्घो हबै।
मै तुम्हर लग सही कथो, कि जब तक सगलू बात नेहको घट जही तब तक हइ पीढी कर मनसे नेहको बढाही।
ऊ जउन आमै बाले हबै, ऊ चुटु टेम बाद आही, ऊ देर नेहको करही।
हे भाई अउ बेहन अक दूसर के उप्पर दोस झइ लगाबा, जेखर लग तुम्हरो हे दोस नेहको लगाय जही, देखा, नियाव करै बाले जज दूरा हे ठाड हबै।
ऊ टेम निकट हबै जब सब कुछ बढाय जही, इहैनिता समझदार बना अउ धीर धरा, जेखर लग तुम पराथना बिनती के सका।