12 पय ई बातन के आगू ऊ मनसे तुमही बन्दी बना लइहीं अउ सतइही, ऊ तुम्हर उप्पर अधिकार के आदेस चलाय के निता तुमके मंडली दरबार हे दइ देइही अउ फेर मोर नाम के कारन ऊ तुमही, राजा अउ राजपालो के आगू लइ जइही।
जउन बात मै तुम्हर लग कहे हव, ओही सुरता रखिहा, हरवाह अपन मालिक लग बडा नेहको होथै, अगर उन मोके सताय हबै, ता उन तुमो के सतइहिन, अगर उन मोर बचन के मानथै, ता तुम्हरो बात के मनहिन।
काखे ऊ सेनापति हइ बात के सही-सही पता लगामै चाहथै, कि यहूदियन पोलुस हे आरोप काखे लगाइन, इहैनिता ऊ अगले रोज ओखर बंधन खोल दइस। फेर खास परधान याजक अउ उच्च यहूदी पंचायत के बुलउवा पठोइस अउ पोलुस के उनखर आगू लायके टाड के दइस।
तुमके जउन परेसानी भोगै के होही ओखर लग झइ डर, भुतवा तुम्हर परिक्छा लेय के उदेस्य लग तुम्हर मसे कुछ मनसेन के जेल हे डाल देही अउ तुम दस रोज तक परेसानी हे पडे रइहा अउ जब तक तुम्हर मिरतू न आय जाय तब तक बिस्वास ओग हे बने रइहा अउ मै तुमके जीवन के मुकुट परदान करिहों।”