मै स्वरग लग अक्ठी आरो हइ आदेस देत सुनाई देथै, “लिख, धन्य हबै।” ऊ मिरतू, जउन अब लग परभु हे बिस्वास करत मरे हबै, आतमा कथै, “असनेन होय, ताकि ऊ अपन मेहनत के बाद आराम के सकै, काखे उनखर निक्खा काम उनखर संग हबै।”
उन बोहत आरो लग हइ कहत सुनो कि “हे पवितर अउ सत्य परभु, जउन हमके मारे हबै उनखर नियाव करै के तै कब तक ओरगत रइहे? अउ भुंइ के रहै बालेन लग हमर खून के बदला कब तक न लइहे?”