43 ऊ रोज तोर उप्पर आही, जब तोर बैरी चारो ओर दिग्गत ठाड के देहिन, ता ऊ तोके घेर लेही, अउ सगलू पल्ला लग तोके दीब डरहिन।
राजा के बोहत गुस्सा आथै, अपन सिपाही पठोय के उन सगलू मारै बालेन के मरवा डारथै अउ उनखर सहर के लेस देथै।
अउ कथै, निक्खा होतै, अगर तुम आजय सान्ति देय बाले बातन के जाने होतो, पय ऊ बात तुम्हर नजर हे लुके हबै।