22 मालिक ओखर लग कथै, हे मूरख नवकर मै तोके अपन सब्द के आधार हे तोके नियाव करहुं, तै तो जानथस, कि मै जउन नेहको धरथो, उके उठाय लेथो, अउ जउन मै नेहको बोथो वहु के काट लेथो।
काखे तुम अपन बातन लग बेकसूर अउ दोसी ठहराय जइहा।”
ता राजा ओखर लग पूछथै, हे सखा, तै काज कर बन्डी बगैर पहिरे इछो काखे आय हबस? पय ऊ मनसे कुछु जबाब नेहको देथै।
मै तोर लग डेराय रहों, काखे कि तै अक्ठी बेकार मनसे हबस, तै जउन धराय नेहको हबस, तै उहो के लइ लेथस, अउ जउन तै बोय नेहको हबस, वहु के काट लेथस।
तो तै मोर देय हर पइसा, काखे बैंक हे नेहको धरे हबस, ता बेयाज के संग मोके मोर पइसा मिलतै।
अब हमही हइ पता हुइ गइस कि नियम के निरदेस उनखरै लग कथै, जउन नियम के वस हे हबै, कि सबके मुंह बन्द हुइ जाय अउ पूर दुनिया भगवान के आगू निरनय के निता काबिल ठहरे।