25 कउनो उंटवा के सूजी के नाक मसे निकरै के लिखडी हबै, पय कउनो धनी मनसे के, भगवान कर राज हे जाय के निता बोहत दिग्गत हबै।
मै तुम्हर लग फेरै कथो, अक्ठी सूजी के छेद लग उंटवा के निकरै के बोहत लिखडी हबै।” पय धन्नड मनसे के भगवान कर राज हे जाय के बोहत कठिन हबै।
हे अंधरा सियान तुम तो मच्छड के छान लेथा, पय उंटवा के खा जथा।
बोहत जरूरी काहिन हबै? हइ कहो कि तोर पाप छमा हुइस, या हइ कहो कि ठाड हुइ जा अउ रेंग बाग?
अक्ठी उंटवा के नाक ले धागा सुज्जी कर छेदा लग घुस सकथै, पर अक्ठी धनी मनसे भगवान कर राज हे जाय के निता बोहत दिग्गत हबै।
उन मनसे ई बात सुनके कथै, गुठेबा मुकति केखर होही?