जब कबहुन तुम उपास करथा, ता ढोंगहन के जसना तुम्हर मुंह उदास झइ रहै अउ उन अपन मुंह के इहैनिता उतारै रथै, ताकि दूसर मनसे उनखर उपास के जानै, मै तुम्हर लग सही कथो, कि अपन फडुहा पाय चुके हबै।
जब तुम बिनती करत हबा, ता ढोंगहन कर जसना झइ करिहा, उन मनसेन के दिखामै के निता, मंडली हे अउ गली कर मोड हे ठाड हुइ के बिनती करथै, मै तुम्हर लग सही कथो, उनही उनखर फडुहा मिल चुकिस।
“हे फरीसी मनसे तुमही हाय हबै, तुम पुदीने, सुदाब अउ कइनमेर के सबजी के दसमा हिस्सा देथा, पय मनसे के परति नियाव अउ भगवान के परति माया के अपेक्छा करथा, हइ उहै हबै, जिनही पूर करै के जरूरी हबै, दूसर के अपेक्छा के करे बगैर।”