कउनो मनसे दुइठे मालिक के सेबा नेहको कर सकथै, काखे ऊ अकझन लग बैर करही अउ दूसर लग माया करही, या अकझन के इज्जत करही अउ दूसर के नरही, तुम भगवान अउ डेरा दोनोन के सेबा नेहको कर सकथा।
अपन डेरा के बेच के मिलेहर पइसा के गरीबन हे बांट देया, अपन निता असना थइला हे धन डेरा अक जिघा करा, जेही नस्ट नेहको करे जाय सकथै, स्वरग हे अक जिघा करे हर डेरा हे न चोरटा के पहुंच हबै, अउ न पाई कीडा खतम कर पई।
“कउनो हरवाह दुइठे मालिक के सेबा नेहको कर सकथै, काखे कि ऊ अकझन लग बैर करी अउ दूसर लग बोहत माया करी अउ अकझन लग मिले रही अउ दूसर के बेकार समझही अउ तुम भगवान अउ धन डेरा दुइठे मालिक के सेबा नेहको कर सकथा।”