“कउन असना डउकी होही, जेखर लिघ्घो दसठे चांदी के पइसा हुइ अउ उनखर मसे अक्ठी पइसा भुलाय जाय, ता ऊ चिमनी जलाके के घर के झारी बहारी जब तक उके पइसा मिल नेहको जाय, तब तक ऊ उके खोजत रही?
यीसु उनखर लग कथै, तुम मनसेन के आगू बोहत धरमी मनसे बनै का ढोंग करथा, पय भगवान तुम्हर मन के जानथै, जउन बात मनसे के नजर हे खास हबै, ऊ भगवान के नजर हे असुध्द हबै।