27 हरवाह ओखर लग कथै, तोर भाई लउट आय हबै अउ तोर बाफ बडा बोकडा कटवाय हबै, काखे कि उके भला निक्खा पाय हबै।
राजा अपन हरवाहन के हइ गुठेके पठोथै, पहुनन लग कइहा, देखा मै अपन भन्डारा तइयारी कर लय हबन, मोर गेडरा अउ मोट-मोट बइला मार डारे हबन, सगलू कुछ तइयार हबै काज के भन्डारा हे आबा।
ता ऊ अक्ठी सेबक के बुलाय के पूछथै, हइ सब काहिन होथै?
“हइ सब देखके ऊ गुस्सा लग भर गइस अउ घर के भित्तर जायके नेहको चाहथै, इहैनिता ओखर बाफ उके सटियामै के निता बाहिर आथै।
पय जब तोर हइ नान टोरवा आय हबै, जउन बेकार कामन हे तोर धन डेरा बढोय डारे हबै अउ तै ओखर निता पाले हर बोकडा कटवाय हबस।
अउ ठाढ हुइके मोर ले कथै, हे भाई साऊल, फेर देखै लग, उहै टेम मोर आंखी उघर गइस अउ मै उके देखो।
तब हनन्याह कढ जथै अउ ऊ घर हे घुसथै ऊ साऊल हे हाथ धर के कथै, “हे भाई साऊल जउन परभु यीसु तोके इछो आउत टेम गली हे दरसन दय रथै, उहै मोके पठोय हबै, ताकि तै फेरै लग देख सकस अउ पवितर आतमा लग भर जा।”
अब सेबक के रूप हे नेहको, बलुक हरवाह लग कहुं बढके पिरिया भाई के रूप हे, हइ मोके बोहत पिरिया हबै, पय अब देह हे अउ परभु हे तुमके कहुं जादा पिरिया होही।