7 ता ऊ अंगूर के बगिया के मालिक लग कथै, देखा मै तीन साल ले हइ अंजीर के रूख हे फडुहा खोजै आथो, पय मोके अकोठे फडुहा नेहको मिलिस, इके काट डाल, हइ भुंइ के काखे छेके हर हबै?
जउन रूख निक्खा फडुहा नेहको फरथै, ओही खपलके आगी हे झपोय दय जथै।
पय मालिक जबाब दइस, मालिक हइ साल इके रहै देया, मै एखर चारो पल्ला खोद के खादा डालहुं।
रूख के जर हे टंगिया रखे जाय चुके हबै, जउन रूख निक्खा फडुहा नेहको देथै, ओही खपलही अउ आगी के भट्ठा हे डार दय जही।”
जउन डगइल मोर हे हबै, अउ फडुहा नेहको फडथै, ओही खपल डालथै, जउन फडुहा फडथै, ओही छठियाथै, ताकि ऊ अउ जादा फडै।
अगर कउ मोर हे मजबूत बने नेहको रही, ता ऊ डगइल के जसना फटक दय जथै जउन झुराय जथै, ओही मनसे उठाय के आगी हे झपोय देथै अउ ऊ जर जथै।