7 सच तो हइ हबै कि तुम्हर मूंड के अक्ठी चूंदी तक गिनररेहर हबै, झइ डर, तुम्हर दाम कइठे गलइयन लग कहुं अधिक बढके हबै।
मनसे ता गेडरा लग कहुं बड्डे हबै। इहैनिता सुस्ताय कर रोज निक्खा करै के नियम के जसना उचित हबै।”
बादर के चिरइयन के देखा, ऊ न तो बोमै न काटै न कोठला हे भरथै, तउभरमा तुम्हर स्वरग कर बाफ चिरइयन के खबाथै, का तुम्हर कीमत उनखर लग बढके नेहको हबै?
पय तुम्हर मूड के अक्ठी चूंदी बाका नेहको होही।
इहैनिता तुमके समझाथो कि कुछ खाय लो, जेखर ले तुम्हर बचाव होय काखे तुम मसे कउनो के मूड के अक्ठी चूंदी नेहको गिरही।”