57 “तुम अपन निता सही गलत के फइसला काखे नेहको कर लेथा?
यीसु उनही जबाब देथै, मै तुम्हर लग सही कथो, अगर तुम बिस्वास करथा अउ संका नेहको करथा, ता तुम न बलुक ऊ करिहा, जउन मै अंजीर के रूख लग करे हव, पय अगर हइ डोंगर लग कइहा, उठ अउ समुन्दर हे जाय गिर, ता ओसनेन हुइ जही।
हइ मै इहैनिता कथो, काखे बतिस्मा देय बाले यूहन्ना तुमही जीवन के सही रास्ता देखामै आइस अउ तुम ओखर उप्पर बिस्वास नेहको करा, पय पइसा उगाहै बाले अउ गलत काम करै बालेन हे बिस्वास करिन अउ तुम जब हइ देखा, तउभरमा तुम मन नेहको फिराया अउ न ओखर हे बिस्वास करा।
वहमा जइसन फूल फुटकथै, ता तुम अपन खुद जान जथा, कि बइसाख कर टेम आ गय हबै।
मुंह देखके नियाव झइ करा, बलुक सही नियाव करा।
पतरस अउ बोहत लग बचन दवारा उनही चेतन्त करथै अउ बिनती के संग उनखर लग कथै, “हइ नास होमै बाले पुरखन लग अपन खुद के बचाय रखिहा।”
तुमिन सोच बिचार करा, का हइ जरूरी हबै कि डउकी बिना मूड ओढे भगवान लग बिनती करै?
का खुद के हइ सिक्छा नेहको देथै कि डउकन के लम्बा चूंदी रखैके लाज के बात हबै,