पय मै तुम्हर लग हइ कथो, कि कउ अपन भाई या बेहन लग गुस्सा करही, ऊ स्वरग के अदालत हे सजा के लायक होही, जउन कउ अपन भाई के बेकार कहि, ऊ स्वरग के अदालत के सजा के लायक होही, जउन कउनो के मूरुख कहि, ऊ नरक के आगी के लायक होही।
कउनो भाई के मान मरयादा के बेज्जती झइ करै अपन साथी बिस्वासिन के तंग झइ करिहा, काखे इन सब के बारे हे खुद परभु बदला लेही, जसना कि हम तुमही साफ सब्द हे समझाय चुके हबन।