47 हरवाह अपन मालिक के इक्छा के जानथै, अउ ओखर निता तइयार नेहको रथै, अउ न ओखर इक्छा के जसना काम करिस, ऊ बोहत पिटान पाही।
पतरस यीसु लग पूछथै, “परभु का तै हइ किस्सा हमर निता कथस? या सगलू मनसेन के निता।”
ता ऊ हरवाह के मालिक, असना रोज आ जइ, जब उके नेहको ओरगी, अउ उहै टेम जेखर बारे हे उके पता नेहको हबै, ता मालिक उके कठोर दन्ड दइके ओखर गिनती अबिस्वासी हे कर दइ।
जउन कउ मोके नकारथै अउ मोर बात के नेहको स्वीकरथै, ओही दोसी ठहरामै बाले अक्ठी हबै, जउन ओही सजा देही, मतलब जउन बात मै कहे रहों, उहै आखरी रोज हे ओही सजा देही।
यीसु जबाब देथै, “अगर तोके उप्पर लग हक नेहको दय गय होतिस, ता तोर मोर हे कउनो हक नेहको होथै, इहैनिता जउन मोके तोर हाथ हे सउपे हबै, ओखर पाप बोहत हबै।”
यीसु उनखर लग कथै, “अगर तुम अन्धरा होता ता तुमही पाप नेहको लगतिस, पय तुम तो कथा कि हम देखथन इहैनिता तुम्हर पाप बने रथै।”
बीते हर टेम हे भगवान हइ अग्यानता के धियान नेहको देथै, पय अब सगलू मनसेन के पाप लग मन बदलै के आदेस देथै।
जउन मनसे भलाई करै के जानथै, पय नेहको करथै उके पाप लगथै।