3 ऊ सब्द जउन तुम अंधियार हे गुठे हबै, उके उजियार हे सुने जही, जउन कुछु तुम भित्तर कोठा हे गुठे हबा, ऊ छानी लग पुकार-पुकार के परचार करे जही।
मै अंधियार हे जउन कुछ तुम्हर लग कथो, उके तुम उजियार हे गुठेवा अउ मै जउन कुछ तुम्हर कान हे कहे हबो, तुम उनखर घर के छानी हे चढ के परचार करा।
अउ “मै तुम्हर लग कथो, कि जउन-जउन बेकार बात मनसेन के मुंह लग निकडथै, ऊ नियाव के रोज ऊ हर अक्ठी बात के हिसाब देयका पडही।
जउन अपन घर के छानी हे होय, ऊ घर के छत लग कुछु चीज ले के निता तरी झइ उतरै।