24 कउवन के धियान देया, उन नेहको बोथै अउ नेहको काटथै अउ उनखर न बखारी अउ न कोठला हबै, तउ भगवान उनके खबाथै तुम चिरइयन लग बढके हबा।
इहैनिता झइ डेराबा तुम्हर कीमत गलइयन लग बढ के हबै।
ओखर सूपा ओखर हाथ हे हबै, ऊ अपन खनेड निक्खा साफ करही, ऊ अपन गोहूं कर कोठला हे अकजुट करही, पय भूसा के ऊ आगी हे झपोही, जउन कबहुन नेहको भुताही।
बादर के चिरइयन के देखा, ऊ न तो बोमै न काटै न कोठला हे भरथै, तउभरमा तुम्हर स्वरग कर बाफ चिरइयन के खबाथै, का तुम्हर कीमत उनखर लग बढके नेहको हबै?
ता राजा के बोहत दुख होथै, पय ऊ जुबान दइ चुकथै, अउ ऊ किरिया खाय के कारन अउ पहुना के कारन ऊ मना नेहको कर पाथै।
तब ऊ कथै, मै अक्ठी जुगाड कर सकथों, कि मै अपन दाना के धरै के निता कोठला के टोर के, बोहत बड कोठला बनाहुं, अउ उहै हे अपन सगलू दाना अउ सगलू धन डेरा धरहुं।
काखे जीवन खाना लग अउ देह बन्डी लग बढके हबै।
सच तो हइ हबै कि तुम्हर मूंड के अक्ठी चूंदी तक गिनररेहर हबै, झइ डर, तुम्हर दाम कइठे गलइयन लग कहुं अधिक बढके हबै।