20 भगवान ओखर लग कथै, अरे मूरुख इहै रात तोर परान लइ ले जही, ता जउन कुछ तै जोरे हबस ऊ केखर होही?”
हे मूरुख मनसे जउन बाहिर भाग के बनाय हबै, का उहै भीतरी भाग के नेहको बनाय हबै?
जब मनसे हइ कइहीं, “अब तो सान्ति अउ कउनो समस्या नेहको हबै,” तबै बिनास गरभबती के टेम दरद-पीरा के मेर, उनखर हे अचनकै आय पडही अउ उन ओखर लग नेहको बच पइहीं।
हइ बरतमान दुनिया के धनड्ड लग निबेदन करा कि ऊ घमंड झइ करै अउ नास होय बाले धन-डेरा हे नेहको, बलुक भगवान के उप्पर आसा रखा, जउन हमर निस्तार के सब चीज जादा मातरा हे देथै।
काखे हम ई दुनिया हे कुछु लइके नेहको आय हवन, इहैनिता इहां लग कुछु नेहको लइ जा सकथन।
तुम नेहको जानथा कि कल तुम्हर का हालत होही। तुम्हर जीवन अक्ठी कोहिटा मेर हबा, ऊ अक घरी देखही फेर उजाय जही।