19 अउ अपन परान लग गुठेहूं, अरे मोर परान बोहत साल के निता धन डेरा तोर लिघ्घो धरे हबै, इहैनिता खा-पी अउ मउज उडा।
तब ऊ कथै, मै अक्ठी जुगाड कर सकथों, कि मै अपन दाना के धरै के निता कोठला के टोर के, बोहत बड कोठला बनाहुं, अउ उहै हे अपन सगलू दाना अउ सगलू धन डेरा धरहुं।
यीसु कथै, अक्ठी धनी मनसे रथै, जउन निक्खा अउ मंहगा बन्डी ओढथै अउ सबरोज सुखबिलास अउ खुसी लग अपन जीवन गुजारे रथै।
इहैनिता सचेत रहा ताकि तुम्हार मन भोग बिलास हे कही मतबालेपन अउ हइ जीवन चिन्ता लग सुस्त झइ होबे, अउ ऊ रोज हरबी तुम लिघ्घो आमैके पडही।
हइ मै मनसेन के नजर लग कथो, अगर मोके इफिसुस सहर हे जंगली गोरुन लग लडैका पडिस ता मोके का फायदा हुइस? अगर मिरतू लग फेरै जिन्दा नेहको होतिस, ता “हम खइ अउ पी, काखे हमके मरेन के हबै।”
उन मनसे के आखरी हे बिनास हबै, ऊ खाना के अपन भगवान बनाय लेथै, अउ असना बात हे गर्व करथै, जिनखर उप्पर लजाय चाही, उनखर मन दुनिया के चीज हे लगे हर हबै।
पय जउन देह के भोग-विलासा के जीवन बिताय हबै, ऊ जियत हर मर चुके हबै।
हइ बरतमान दुनिया के धनड्ड लग निबेदन करा कि ऊ घमंड झइ करै अउ नास होय बाले धन-डेरा हे नेहको, बलुक भगवान के उप्पर आसा रखा, जउन हमर निस्तार के सब चीज जादा मातरा हे देथै।
बिस्वासघाती, ढीठ, घमंडी, अउ भगवान के महिमा नेहको पय सुखबिलास के चाहे बाले हुइहिन।
तुम भुंइ हे हर मेर के सुख अउ अपन इक्छा के जसना जीवन बिताय हबा, अउ बलि चढामै के रोज के निता खुद के मोटा ताजा बनाय लय हबा।
तुम पहिले संसारिक मनसेन के जीवन मेर गलत काम, लफन्गा के बेकार लालच, दरुहाइ, नाटक बाले, अइसो अराम अउ मूरती पूजन हे जउन टेम गवाइन उहै बोहत हुइस।
जेतका ऊ अपन बडाई करिस अउ सुख-विलास करिस, ओतनै उके पीरा अउ दुख देया, काखे ऊ अपन मन हे कथै, मै रानी के जसना राजगद्दी हे बइठे हव, मै बिधवा नेहको हबो, अउ कबहुन सोक नेहको मनइहों।