7 उहै घर छो रुके रइहा, अउ ओखर लिघ्घो जउन होही, उहै खइहा पीहा, काखे मजदूर के ओखर मजदूरी मिलै चाही, घर-घर झइ जइहा।
अउ यीसु उनही कथै, जब तुम कोनो घर हे जइहा ता, जब तक ऊ गांव नेहको छांड दइहा, तब तक उहै घर हे रइहा।
अगर उहां कउ सान्ति के काबिल होही, ता ओखर हे तुम्हर सान्ति रुकही, अगर असना नेहको होथै, ता सान्ति तुम्हर लिघ्घो लउट आही।
जउन घर हे जइहा उहै छो रइहा अउ उहै लग बिदा हुइ जइहा।
फेर अपन पूरे घराना सहित बतिस्मा लेय के बाद ऊ हमर लग हइ बिनती करथै, “कि तै मोके परभु के महिमा करै बाले बिस्वासी मानथस, ता आबा मोर घर हे रहा।” इहैनिता ऊ हमके जाय के निता तइयार कर लइस।
तब ऊ उनके अपन घर हे लइ जाय के उनखर आगू भोजन रखथै, अउ सगलू बिरादरी भगवान के उप्पर बिस्वास करिन अउ सगलू बिरादरी के संग खुसी मनाथै।
उन जेल लग निकरके लुदिया के इहां जथै अउ भाइन लग मुलाकात करके उनके सान्ति देथै अउ कढ जथै।
जेही भगवान के बचन सुनाय गय हबै, ऊ हर अक्ठी निक्खा चीज हे अपन गुरू के साझा बनामै।
एखर अलाबा ऊ आलसी रहै लागथै, अउ घर-घर घूमै करथै, ऊ न केबल आलसी रथै, पय बाकिन के कामन के बिगाडथै, अउ दूसर के बुराई करै हे मजा आथै, अउ ऊ बात बोलथै, जउन उके नेहको बोलै चाही।
जउन किसान मेहनत करथै, फडुहा के हिस्सा उके आगुन मिलय चाही।