35 दूसर रोज सामरी यातरी धरमसाला के मालिक के दुइठे चांदी के पइसा दइके कथै, एखर धियान रखबे, अउ एखर लग अधिक जउन कुछ तोर खरचा होही, ता लउटके आहुं ता चुकाय दइहों।”
“पय जब हरवाह बाहिर छो निकडथै, ता ओखर संगी हरवाह मसे मिलथै, जउन ओखर लग अक्ठी सव चांदी के पइसा के करजदार रथै, ऊ हरवाह के पकडके ओखर नटेरी दबाउत कथै, जउन मोर लग करजा लय हबस उके लउटा दे।”
ऊ मजदुरिहन के संग अक्ठी चांदी के पइसा रोजदिन मजदूरी देय के तय करथै अउ उनही अपन अंगूर के बगिया हे काम करै के निता पठोय देथै।
ऊ ओखर लिघ्घो गइस अउ ऊ ओखर खत्ता हे तेल अउ दाखरस डालके चिथरा बांधथै, अउ ऊ अपन घोडवा हे बैइठाय के उके धरमसाला हे लइ गइस अउ ऊ ओखर देखरेख करथै।
यीसु नियाव के गुरू लग पूछथै, गुठे तोर सोंच लग चोरटन के बीच हे घेररे हर मनसे के परोसी इन तीनठे मसे कोनहर हुइस?
बलुक जब तुम भोज देया, ता गरीबन, असहाय, लुलुवन अउ अंधरन के नेउता देया।
गयुस जउन मोर अउ मंडली के पहुनाई करै बाले हबै, उनखर तुमही नमस्ते। इरास्तुस जउन गांव के भन्डारी हबै अउ भाई क्वारतुस के नमस्ते।