27 अन्धरा मनसे उनखर लग कथै, “मै तुमही गुठे चुके हव, पय तुम नेहको सुने हबा, अब दूसर बेर काहिन सुने के चाहथा? का तुमो ओखर चेला बने चाहथा?”
हमके गुठे का तै मसीह हबस ऊ उनखर लग कथै, यदि मै तुम्हर लग गुठेइहों ता तुम मोर बात के बिस्वास नेहको करिहा।
मै तुम्हर लग सही-सही कथो, ऊ टेम आ गय हबै, जब सगलू मर गय हबै, उन भगवान कर टोरवा के आरो सुनहिन अउ हर अकझन सुनै बाले जीवन पाय जइही,
उन ओखर लग फेरै पूछथै, “ऊ मनसे असना का करिस कि तोर आंखी के उजेड मिल गइस?”