37 काखे इहां हइ किस्सा ठीक बइठथै, कि अक्ठी बोथै अउ दूसर काटथै।
मै तोर लग डेराय रहों, काखे कि तै अक्ठी बेकार मनसे हबस, तै जउन धराय नेहको हबस, तै उहो के लइ लेथस, अउ जउन तै बोय नेहको हबस, वहु के काट लेथस।
मै तुम्हर लग सही-सही कथो, कि जउन मोर हे बिस्वास करथै, उन सगलू काम करहीं, जउन काम मै करथो, बलुक इनखरो लग बडा-बडा काम करही, काखे अब मै बाफ के लिघ्घो जथो।
काटै बाले मजदूरी पाथै अउ सबरोज के जीवन के निता फडुहा समेटथै, जेखर लग बोमै बाले अउ काटै बाले दोनो झन मिलके खुसी बनामै।
मै तुमही ऊ खेत काटै के निता पठोयों, जेहमा तुम मेहनत नेहको करा, पय दूसर मेहनत करिन अउ तुमही ओखर मेहनत के फडुहा मिलत हबै।